Tuesday, 25 November 2008

चार्वाक सिद्धान्त

भारतीय दर्शन की यह विशेषता रही है कि भिन्न भिन्न सिद्धान्त एक साथ स्थापित रहें हैं।

एक मनीषी हुए हैं :- चार्वाक

आज जब कि विश्व भर में आर्थिक मंदी कि छाया है, उनका सिद्धान्त विचारणीय है।

"यतं जीवेत, सुखें जीवेत,
ऋणं कृत्वा, घृतं पिबेत "

जब तक जियो, सुख से जियो,
उधार ले कर, घी पियो

संभवतः, अमरीकी पहले से ही इस सिद्धान्त का पालन कर रहे थे :-)

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