Sunday, 5 September 2010

भगवा आतंकवाद पर लिखी कविता - मैं आतंकी हूँ



 


मैं आतंकी हूँ

-   डॉ. जय प्रकाश गुप्त

 

शीश शिखा होने से पक्का हिन्दु था ही,
मैंने भगवा ओढ़ लिया, मैं आतंकी हूँ।

आतंकी है भोर, है गोधूलि आतंकी
वह्नि की ज्वाला है दीपशिखा आतंकी
आतंकी है यज्ञ, वेदमन्त्र आतंकी
आतंकी यजमान, पुरोहित भी आतंकी
मैं इन सब का आदर करता पूज्य मानता
इन्हें, अत: मैं मान रहा मैं आतंकी हूँ।
मैंने भगवा ओढ़ लिया, मैं आतंकी हूँ।

आतंकी है राम और कृष्ण आतंकी
विश्वामित्र वसिष्ठ द्रोण कृप हैं आतंकी
बृहस्पति भृगु देवर्षि नारद आतंकी
व्यास पराशर कुशिक भरद्वाज आतंकी
मेरे ये इतिहास पुरुष पितृ ये मेरे
वंशज इनका होने से मैं आतंकी हूँ।
मैंने भगवा ओढ़ लिया, मैं आतंकी हूँ।

नामदेव नानक और दयानन्द आतंकी
रामदास (समर्थ) विवेकानन्द आतंकी
आदिशंकराचार्य रामकृष्ण आतंकी
गौतम कपिल कणाद याज्ञवल्क्य आतंकी
ये मेरे आदर्श सदा सर्वदा रहे हैं
इसीलिए मैं कहता हूँ मैं आतंकी हूँ।
मैंने भगवा ओढ़ लिया, मैं आतंकी हूँ।

भगवा तो भारत की है पहचान कहाता
प्रिय तिरंगा भी भगवा से शोभा पाता
भारतमाता के कर में भगवा फहराता
भारत की अस्मिता से है भगवा का नाता
बोध यदि भगवा का उग्रवाद से हो तो
अच्छा यही कि सब बोलें मैं आतंकी हूँ।
मैंने भगवा ओढ़ लिया, मैं आतंकी हूँ।

मैंने भगवा ओढ़ लिया, मैं आतंकी हूँ।

मैंने भगवा ओढ़ लिया, मैं आतंकी हूँ।

मैंने भगवा ओढ़ लिया, मैं आतंकी हूँ।


4 comments:

  1. भारत के तिरंगे में भगवा
    ऋषि दधिची के महात्याग में भगवा
    गौतम बुद्ध के वैराग्य में भगवा
    शंकराचार्य के ज्ञान में भगवा

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  2. Hello the person who has written it is Dr. Jayprakash Gupta and I know him personally...Who so ever has reposted it should properly use his name !

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  3. महोदय,
    यह रचना यहॉं प्रकाशित करने के लिए आभार ! एक प्रार्थना है कि मेरे नाम को शुद्ध कर लें। मैं जय प्रकाश हूँ, प्रसाद नहीं।

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  4. त्रुटि के लिए क्षमा.
    मूल लेख में भी सुधर कर लिया है.
    यदि किसी ब्लॉग पर हो, तो उसका link देने की कृपा करें.

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